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॥ स्वस्तिप्रार्थनानाममंत्राऽध्याय ॥


॥ स्वस्तिप्रार्थनानाममंत्राऽध्याय ॥
॥ स्वस्तिप्रार्थनानाममंत्राऽध्याय ॥ ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ॥ स्वस्ति नस्तार्क्ष्योऽरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु …
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॥ शान्त्याऽध्याय ॥


॥ शान्त्याऽध्याय ॥
॥ शान्त्याऽध्याय ॥ ॐ ऋचंव्वाचम्प्रपद्ये मनोयजु: प्रपद्ये सामप्प्राणम्प्रपद्ये चक्षु: श्रोत्रम्प्रपद्ये । व्वागोजः सहौजोमयि प्प्राणापानौ ॥१॥ यन्मेच्छिद्द्रञ्च…
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रुद्री का आठवां अध्याय – ॥ अष्टमोऽध्यायः ॥


रुद्री का आठवां अध्याय – ॥ अष्टमोऽध्यायः ॥
रुद्री का आठवां अध्याय – ॥ अष्टमोऽध्यायः ॥ ॐ व्वाजश्च्च मे प्प्रसवश्च्च मे प्प्रयतिश्च्च मे प्प्रसितिश्च्च मे धीतिश्च्च मे क्क्रतुश्च्च मे स्वरश्च्च मे श्श्ल…
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रुद्री का सातवां अध्याय – ॥ सप्तमोऽध्यायः ॥


रुद्री का सातवां अध्याय – ॥ सप्तमोऽध्यायः ॥
रुद्री का सातवां अध्याय – ॥ सप्तमोऽध्यायः ॥ ॐ उग्नश्च भीमश्च ध्वान्तश्च धुनिश्च । सासह्वाँश्चाभियुग्वा च विक्षिपः स्वाहा ॥१॥ अग्नि ᳪ हृदयेनाशनि ᳪ हृदयाग्रेण …
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रुद्री का छठा अध्याय – ॥ षष्ठोऽध्यायः ॥


रुद्री का छठा अध्याय – ॥ षष्ठोऽध्यायः ॥
रुद्री का छठा अध्याय – ॥ षष्ठोऽध्यायः ॥ ॐ वय ᳪ सोमव्रते तव मनस्तनूषु बिभ्रतः ॥ प्रजावन्तः सचेमहि ॥१॥ एष ते रुद्रभागः सहस्वस्राऽम्बिकया तं जुषस्व स्वाहैष ते र…
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रुद्री का पांचवा अध्याय – ॥ पञ्चमोऽध्यायः ॥


रुद्री का पांचवा अध्याय – ॥ पञ्चमोऽध्यायः ॥
रुद्री का पांचवा अध्याय – ॥ पञ्चमोऽध्यायः ॥ रुद्रसूक्त ॐ नमस्ते रुद्द्र मन्न्यव ऽउतो त ऽइषवे नमः । बाहुब्भ्यामुत ते नमः ॥१॥ या ते रुद्द्र शिवा तनूरघोराऽपापका…
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॥ चतुर्थोऽध्यायः ॥


॥ चतुर्थोऽध्यायः ॥
मित्र भगवान सूर्य का नाम है, और भगवान सूर्य के सूक्त का नाम ही मैत्रसूक्त है। भगवान सूर्य की स्तुतियों वाली वैदिक ऋचाओं का समूह मैत्र सूक्त कहलाता है। रुद्रा…
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रुद्री का तीसरा अध्याय – ॥ तृतीयोऽध्यायः ॥


रुद्री का तीसरा अध्याय – ॥ तृतीयोऽध्यायः ॥
रुद्री का तीसरा अध्याय –  ॥  तृतीयोऽध्यायः  ॥ ॐ आशु: शिशानोवृषभो न भीमो घनाघन: क्षोभणश्चर्षणीनाम्। संक्रन्दनो ऽनिमिष एकवीरः शत ᳪ सेना ऽअजयत् साकमिन्द्रः॥१॥ स…
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रुद्री का दूसरा अध्याय – ॥ द्वितीयोऽध्यायः ॥


रुद्री का दूसरा अध्याय – ॥ द्वितीयोऽध्यायः ॥
रुद्री का दूसरा अध्याय –  ॥  द्वितीयोऽध्यायः  ॥ ॐ सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् । स भूमि ᳪ सर्वत स्पृत्वात्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम् ॥१॥ पुरुष  ऽ एवेद ᳪ…
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