॥ स्वस्तिप्रार्थनानाममंत्राऽध्याय ॥
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ॥ स्वस्ति नस्तार्क्ष्योऽरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥१॥
ॐ पयः पृथिव्यां पय ओषधीषु पयो दिव्यन्तरिक्षे पयो धाः। पयस्वतीः प्रदिशः सन्तु मह्यम् ॥२॥
ॐ विष्णो रराटमसि विष्णोः श्नप्त्रेस्थो विष्ष्णोः स्यूरसि विष्णोर्ध्रुवोऽसि ॥ वैष्णवमसि वैष्णवे त्वा ॥३॥
ॐ अग्निर्देवता वातौ देवता सूर्यो देवता चन्द्रमा देवता वसवो देवता रुद्रा देवताऽऽदित्या देवता मरुतो देवता विश्वेदेवा देवता बृहस्पतिर्देवतेन्द्रो देवता वरुणो देवता ॥४॥
ॐ सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ॥ भवे भवे नातिभवे भवस्व मां भवोद्भयाय नमः ॥५॥
वामदेवाय नमो ज्येष्ठाय नमः श्रेष्ठाय नमो रुद्राय नमः कालाय नमः कलविकरणाय नमः बलविकरणाय नमो बलाय नमो बलप्रमथनाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥६॥
अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो धोरघोरतरेभ्यः । सर्वेभ्यः सर्वशर्वेभ्यो नमस्तेऽस्तु रुद्ररूपेभ्यः ॥७॥
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि । तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥८॥
ईशानः सर्वविद्यानामीश्वरः सर्वभूतानाम् । ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपतिर्ब्रह्मा शिवो मेऽस्तु सदाशिवोऽम् ॥९॥
ॐ शिवोनामासि स्वधितिस्ते पिता नमस्तेऽस्तु मा मा हि ᳪ सीः ॥ निवर्तयाम्यायुषेऽन्नाद्याय प्रजननाय रायस्पोपाय सुप्रजास्त्वाय सुवीर्याय ॥१०॥
ॐ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव ॥ यद्भद्रं तन्न आसुव ॥११॥
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षः शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः । वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्मशान्तिः सर्व ᳪ शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सामाशान्तिरेधि ॥१२॥
॥ इति रुद्राष्टाध्यायी शान्त्याऽध्याय ॥
F & Q :
प्रश्न : रुद्राभिषेक कितने अध्याय का होता है?
उत्तर : रुद्राभिषेक के लिये वेद के कुल आठ अध्यायों का संग्रह किया गया है जिसे रुद्राष्टाध्यायी कहा जाता है। इसमें आठ अध्यायों के अतिरिक्त शान्त्याध्याय और स्वस्ति प्रार्थना भी सम्मिलित है।
प्रश्न : क्या रुद्राभिषेक घर पर किया जा सकता है?
उत्तर : हां, रुद्राभिषेक घर पर भी किया जा सकता है। घर में छोटा सा नर्मदेश्वर लिङ्ग पर रुद्राभिषेक किया जाता है। इसके साथ ही पारद, स्फटिक, धातु आदि के शिवलिङ्गों पर भी रुद्राभिषेक किया जाता है। मिट्टी के लिङ्ग पर क्षरणदोष होने के कारण रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिये।
प्रश्न : गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करने से क्या होता है?
उत्तर : शास्त्रों में विभिन्न मनोकामनाओं के लिये अलग-अलग द्रव्यों से रुद्राभिषेक करने की विधि बताई गई है। श्रीकामना अर्थात् लक्ष्मी वृद्धि की कामनापूर्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करने का निर्देश मिलता है।
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