व्यापार वर्धक मंत्र


 

व्यापार वर्धक मंत्र 



आजकल आपने बहुत से ऐसे लोगों को सुना होगा जो कहते हैं कि उनका व्यापार बहुत अच्छा चल रहा था परंतु पिछले कुछ समय से व्यापार में परेशानियां आ रही हैं. पहले बिक्री खूब अच्छी होती थी किंतु अचानक उस में गिरावट आ जाती है.अच्छा माल बेचते हैं, व्यवहार कुशल भी हैं लेकिन इतना सब होते हुए भी व्यापार निरंतर घाटे में चला जाता है. इन्हीं समस्याओं के चलते कर्ज भी सर पर बढ़ जाता है. क्योंकि व्यापारिक गतिविधियां निर्बल हो जाती है. सब कुछ इंसान के हाथ मे नही होता है. यह सब कर्म और नसीब पर भी आधारित होता है. हर व्यक्ति के जीवन में अच्छे बुरे दौर आते है. व्यापार की गति कम पड़ने की तमाम सारी वजह हो सकती है. अगर आपके भी व्यवसाय में समस्याएं आ रही है. तो आप भी इन उपायों के माध्यम से अपने द्वारा पोषित व्यापार को फिर से पटरी पर ला सकते है.






ॐ श्रीं श्रीं श्रीं परमां सिद्धिं श्रीं श्रीं श्रीं |


त्रयोदशी तिथि अर्थात प्रदोष के दिन साधक उपवास रखे | उपवास की स्थिति में नाममात्र का फलाहार ही लेना चाहिए | सायंकाल (प्रदोषबेला में) शिवजी का पूजन करना चाहिए | पूजन के उपरान्त यह मंत्र 3 या 5 माला जपना चाहिए | उसके बाद अष्टगंध में असगंध के फुल मिलाकर यह मंत्र पढ़ते हुए 108 आहुतिया दी जाये | यह एक दिन का कार्यक्रम है लगातार सात प्रदोष वारो तक (एक-एक करके सात प्रदोष दिनों में) यह साधना की जाय | उसके प्रभाव से व्यापार के सारे अवरोध, विघ्न और दुष्प्रभाव समाप्त होकर बड़ी तीव्र गति से लाभ होने लगता है |

 

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