श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी वैदिक, तांत्रिक, यांत्रिक तीनो परम्पराओं में अत्यधिक पूजनीय है, वे केवल एक देवी नही है बल्कि सृष्टि, संरक्षण और विनाश की ऊर्जा को एक साथ जोड़ने वाली शक्ति का अवतार है | उनकी साधना में साधक अपने भीतर के सत्य और ब्रह्मांडीय चेतना का अनुभव कर सकते है |
श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी का मार्ग एक गहन साधना यात्रा है जो भौतिक, मानसिक, आध्यात्मिक रूपों को एक साथ देता है, श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी की साधना का प्रथम पहलु आत्म साक्षात्कार है, यह साधक को अपने अहंकार से परे ले जाकर अपने सच्चे स्वरुप में मिलने का अवसर प्रदान करते है | साधक उनकी मूर्ति, मंत्र, यंत्र के माध्यम से अपनी चेतना को शुद्ध कर परम चेतना की ओर अग्रसर होता है, यह साधना केवल एक पूजा नही है बल्कि अपने अस्तित्व और ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने की यात्रा है|
|| श्री विद्या साधना का रहस्य ||
श्री विद्या साधना तंत्र की उच्चतम विद्याओ में से एक है, इसमें श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी की शक्ति का अनुभव किया जाता है, इसमें मुख्य तीन रूपों का समावेश होता है-:
पहला -: स्थूल रूप (मूर्ति के रूप में)
दुसरा -: सूक्ष्म रूप (यंत्र के रूप में)
तीसरा -: परारूप (मंत्र के रूप में)
पहला -: स्थूल रूप (मूर्ति के रूप में) इसमें श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी को चार भुजा के रूप में देखा जाता है, उनके हाथो में प्रतीकात्मक वस्तुए होती है, जो प्रमुख चार इच्छाओ का प्रतिनिधित्व करती है, ये चार इच्छाए धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है, यह रूप केवल मूर्ति नही है बल्कि यह साधक को जीवन की गहराई आध्यामिक सच्चाइयो का अनुभव करने का मार्ग दिखाता है |
दुसरा -: सूक्ष्म रूप (यंत्र के रूप में) श्री यंत्र तांत्रिक साधना में श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी का सूक्ष्म रूप है, इसमें 9 त्रिकोण होते है, जो ब्रह्माण्ड की सरचना और शिव शक्ति मिलन का प्रतीक है, श्री यंत्र के भीतर ध्यान करने से साधक ब्रह्माण्ड के गहन रहस्यों को जान सकता है, यह साधना साधक को आत्मज्ञान की और ले जाती है, जहा वह ब्रह्माण्ड और अपने अस्तित्व के बीच सम्बन्ध को समझता है |
तीसरा -: परारूप (मंत्र के रूप में) यह श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी का मंत्र उनके सर्वोच्च रूप का प्रतिनिधित्व करता है, यह साधक को सीधे ईश्वर के संपर्क में लाता है, मंत्र धवनि की पवित्र शक्ति है जो साधक की चेतना को ब्रह्मांड की उर्जा के साथ संगठित करती है, इसका उच्चारण साधक को सृजन, संरक्षण और विनाश की शक्तियों के साथ जोड़ता है, जिससे वह ब्रह्माण्ड की चक्रीय प्रकृति को समझता है |
|| पूजा और ध्यान की शक्ति ||
श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी की पूजा में साधक बाहरी रूप से मंत्र जप, यंत्र पूजन, मूर्ति पूजन करता है लेकिन इसका असली उद्देश्य आंतरिक जागृति है, यह साधना साधक को अपने और ईश्वर के बीच की सीमओं को मिटाने में मदद करती है, यह साधक के भीतर दिव्यशक्ति का अनुभव करने और एकता की भावना का अनुभव करने का अवसर देती है |
श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी की पूजा का मुख्य उद्देश्य द्वित्वादी धारणा को पार कर अद्वैत की धारणा को पाना है, सामान्यतः पूजा में ईश्वर और भक्त के बीच एक भिन्नता होती है जिसे साधक अनुभव करता है, परन्तु इस परम्परा पूजा में केवल एक साधक द्वारा अलग देवता की आराधना नही है बल्कि यह साधक श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी के बीच एकता का अनुभव कराने का माध्यम है, इस प्रकार की पूजा भेदभाव की सीमाओं को मिटाती है, और अद्वैत के वास्तविक अनुभव की और ले जाती है |
|| पूजा के विविध पहलू ||
श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी में कई प्रकार के अनुष्ठान होते है, जो साधक की आध्यात्मिक आवश्यकताओं और विशेष अवसरों पर किये जाते है |
पहला नित्य कर्म या दैनिक अनुष्ठान
यह साधक की दैनिक आध्यामिक साधना का अभिन्न हिस्सा है, इसमें श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी की प्रार्थना, प्रसाद, ध्यान का समावेश होता है, इस अनुष्ठान के माध्यम से साधक ईश्वर के साथ निरंतर सम्बन्ध बनाए रखता है, और अपने अन्दर भक्ति व अनुशासन की भावना को मजबूत करता है |
दूसरा संध्या कर्म या गोधुलि संस्कार
यह अनुष्ठान चार समयो भौर, दोपहर, शाम और आधी रात में किये जाते है, इन समयों में ब्रह्मांडीय ऊर्जा के अद्वितीय परिवर्तन होते है, जिनका लाभ साधक इन अनुष्ठाओ के माध्यम से उठाते है, यह साधना साधक के आंतरिक जागरूकता को गहरी करती है और उसे ईश्वर के साथ जुड़ने का अवसर देती है |
तीसरा काम्यकर्म या विशेष उद्देश्य अनुष्ठान
विशेष इच्छाओ या आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए किये जाने वाले अनुष्ठान भौतिक और आध्यात्मिक जगत के सम्बन्ध को प्रकट करते है, इन अनुष्ठानो के माध्यम से साधक श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी से विशेष आशीर्वाद या सुरक्षा की प्रार्थना करता है |
चौथा नैमित्तिक कर्म या विशेष अवसर अनुष्ठान
ये अनुष्ठान विशेष त्यौहारो ग्रहणों या महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटनाओ के दौरान किए जाते है, ये अनुष्ठान सामूहिक और विस्तृत होते है, जहा साधक अपने परिवार और समुदाय के साथ मिलकर पूजा करते है, इन अनुष्ठानो के दौरान ब्रह्मांडीय उर्जाओ का प्रभाव भी देखा जाता है |
पांचवा सत्संग या समूह अनुष्ठान
सत्संग के माध्यम से साधक पूजा या भक्ति में भाग लेते है, जिससे समुदाय में एकता और समर्पण की भावना को बढ़ावा मिलता है, यह साधको के बीच पारंपरिक संबंधो को मजबूत करता है, जो इस पूजा का प्रमुख उद्देश्य है, श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी की पूजा में विभिन्न अनुष्ठानो के माध्यम से साधक द्वैत की सीमओं से आगे जाकर अद्वैत की अनुभूति की और बढ़ता है, साधक और देवी के बीच की दुरी विलीन हो जाती है, और साधक को अपने भीतर छुपे अपने दिव्य रूप का साक्षात्कार होता है, इस पूजा के माध्यम से साधक श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी के बाहरी रूपों की पूजा नही करता वह देवी के निर्विकार अनंत रूप का भी अनुभव करता है, इस साधना में साधक ब्रह्मांडीय नृत्य का हिस्सा बन जाता है, जो सृजन, संरक्षण और विनाश की प्रक्रिया है, यह पवित्र साधना साधक को ब्रह्माण्ड से जोड़कर उसे उसके दिव्य स्वरुप की पहचान कराती है जिससे उसे अंततः मुक्ति का मार्ग मिलता है |
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