मोहनाभिधान





 


  • सिंदूर, केसर व गोरोचर को आवले के रस में पीसकर तिलक करने से सब लोग मोहित हो जाते है |
  • सहदेई के रस में तुलसी का बीज घोटकर रविवार के दिन तिलक करने से सब लोग मोहित हो जाते है |
  • मैनसिल एवं कपूर मिलाकर केला के रस में घोटकर तिलक करने से सभी लोग मोहित हो जाते है |
  • हरताल, अश्वगंध तथा गोरोचन कदली के रस में घोटकर तिलक करने से सब लोग मोहित हो जाते है |
  • काकड़सिंगी, चन्दन, वच तथा कूट इनको एक में मिलाकर इसका धूप कपड़े एवं शरीर तथा मुख आदि पर देने से मोहन शक्ति प्राप्त होती है, अर्थात उस आदमो को देखकर राजा, मनुष्य तथा पशु - पक्षी आदि जीव भी मोहित हो जाते है, पान की जड़ का तिलक भी मोहन कारक होता है |
  • सिंदूर तथा वच मिलाकर पान के रस में घोटकर मोहन मंत्र द्वारा अभिमंत्रित कर तिलक करने से सब लोग मोहित जाते है | बिना मोहन मंत्र मोहन मंत्र सिद्ध किये ये सब प्रयोग सिद्ध नहीं होते, अतः मंत्र अवश्य सिद्ध कर ले |
  • चिडचिडा, भृंगराज, लाजवन्ती तथा सहदेविका इन सबको साथ घोटकर मोहन मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करने से सब लोग मोहित हो जाते है |
  • श्वेत दूर्वा तथा हरताल एक साथ पीसकर एवं मोहन मंत्र से अभिमंत्रित करके तिलक करने से सब मोहित हो जाते है |
  • बिल्वपत्र को अच्छी तरह छाया में सुखाकर कपिला गौ के दूध में घिसकर गोली बनावे और उसे मोहन मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक करे तो सब जगत मोहित हो जाता है |


मोहन मंत्र -: ॐ उड्डामरेश्वराय सर्व जगन्मोहनाय अं आं इं ईं उं ऊँ ॠं ॠ्रं फट् स्वाहा |


यह मंत्र एक लक्ष जप 1 लाख जप पर सिद्ध होता है | जब मंत्र सिद्ध कर ले तो सात बार इस मंत्र से अभिमंत्रित करके तब तिलक करना चाहिए | 



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